हारना तब आवश्यक हो जाता है जब लड़ाई अपनों से हो |
और जीतना तब आवश्यक हो जाता है, जब लड़ाई अपने आप से हो | |

मंज़िल मिले ये तो मुकधर की बात है, हम कोशिश ही न करें ये तो गलत बात है |
किसी ने बर्फ से पूछा आप इतने ठन्डे क्यों हो ?
बर्फ ने बड़ा अच्छा जवाब दिया -
"मेरा अतीत भी पानी ,मेरा भविष्य भी पानी , फिर गर्मी किस बात पे रखू | |

गिरना भी अच्छा है दोस्तों , औकात का पता चलता हैं |
बढ़ते है जब हाथ उठाने को , अपनों का पता चलता है | |
सीख रहा हूँ अब मैं भी , इंसानो को पढ़ने का हुनर |
सुना है, चेहरे पे किताबो से ज्यादा लिखा होता है | |

रब ने नबाजा हमें ज़िन्दगी देकर , और हम शौहरत मांगते रह गए |
ज़िन्दगी गुजार दी शौहरत के पीछे फिर मौहलत मांगते रह गए | |
ये कफ़न , ये जनाजे , ये कब्र सिर्फ बाते है मेरे दोस्त |
वर्ना मर तो इंसान तभी जाता है , जब याद करने वाला कोई न हो | |

यह समन्दर भी तेरी तरह खुदगर्ज निकला |
ज़िंदा थे तो तैरने न दिया , मर गए तो डूबने न दिया | |
क्या बात करे इस दुनिया की , हर शख्स के अपने अफ़साने है |
जो सामने है उसे लोग बुरा कहते है ;
और जिसे कभी देखा ही नहीं उसे सब खुदा कहते है | |

आज मुलाक़ात हुई जाती हुई उम्र से मैंने कहा ज़रा ठेहरो तो ,
वह हँसकर उठलाते हुई बोली, मैं उम्र हूँ ठहरती नहीं ;
पाना चाहते हो मुझ को तो, मेरे हर कदम के संग चलो |
मैंने भी मुस्कुराते हुए कह दिया -
कैसे चलूँ मैं बनकर तेरा हम कदम, तेरे संग चलने पर मुझे छोड़ना होगा
मुझको मेरा बचपन , मेरी नादानी , मेरा लड़कपन | |
तू ही बता दे कैसे समझदारी की दुनिया अपना लूँ ,
जहाँ है नफरते , दूरियां , शिकायतें और अकेलापन |

मैं तो दुनिया ऐ चमन में बस एक मुसाफिर हूँ ,
गुजरते वक़्त के साथ एक दिन यु ही गुज़र जाऊंगा ,
करके कुछ आँखों को नम , कुछ दिलो में यादे बनकर बस जाऊंगा | |
- हरिवंशराय बच्चन
और जीतना तब आवश्यक हो जाता है, जब लड़ाई अपने आप से हो | |

मंज़िल मिले ये तो मुकधर की बात है, हम कोशिश ही न करें ये तो गलत बात है |
किसी ने बर्फ से पूछा आप इतने ठन्डे क्यों हो ?
बर्फ ने बड़ा अच्छा जवाब दिया -
"मेरा अतीत भी पानी ,मेरा भविष्य भी पानी , फिर गर्मी किस बात पे रखू | |
गिरना भी अच्छा है दोस्तों , औकात का पता चलता हैं |
बढ़ते है जब हाथ उठाने को , अपनों का पता चलता है | |
सीख रहा हूँ अब मैं भी , इंसानो को पढ़ने का हुनर |
सुना है, चेहरे पे किताबो से ज्यादा लिखा होता है | |
रब ने नबाजा हमें ज़िन्दगी देकर , और हम शौहरत मांगते रह गए |
ज़िन्दगी गुजार दी शौहरत के पीछे फिर मौहलत मांगते रह गए | |
ये कफ़न , ये जनाजे , ये कब्र सिर्फ बाते है मेरे दोस्त |
वर्ना मर तो इंसान तभी जाता है , जब याद करने वाला कोई न हो | |
यह समन्दर भी तेरी तरह खुदगर्ज निकला |
ज़िंदा थे तो तैरने न दिया , मर गए तो डूबने न दिया | |
क्या बात करे इस दुनिया की , हर शख्स के अपने अफ़साने है |
जो सामने है उसे लोग बुरा कहते है ;
और जिसे कभी देखा ही नहीं उसे सब खुदा कहते है | |
आज मुलाक़ात हुई जाती हुई उम्र से मैंने कहा ज़रा ठेहरो तो ,
वह हँसकर उठलाते हुई बोली, मैं उम्र हूँ ठहरती नहीं ;
पाना चाहते हो मुझ को तो, मेरे हर कदम के संग चलो |
मैंने भी मुस्कुराते हुए कह दिया -
कैसे चलूँ मैं बनकर तेरा हम कदम, तेरे संग चलने पर मुझे छोड़ना होगा
मुझको मेरा बचपन , मेरी नादानी , मेरा लड़कपन | |
तू ही बता दे कैसे समझदारी की दुनिया अपना लूँ ,
जहाँ है नफरते , दूरियां , शिकायतें और अकेलापन |
मैं तो दुनिया ऐ चमन में बस एक मुसाफिर हूँ ,
गुजरते वक़्त के साथ एक दिन यु ही गुज़र जाऊंगा ,
करके कुछ आँखों को नम , कुछ दिलो में यादे बनकर बस जाऊंगा | |
- हरिवंशराय बच्चन
👏
ReplyDeleteInsightful
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