किसी क्रासिंग पर एक दिन
दो अधूरे एक दूसरे से टकराये |
वो बस भाग रहा था,
किस चीज़ से ?
यह पहेली सुलझाना भी उसकी दौड़ का हिस्सा था |
किसी और से वो भी चली आ रही थी,
सैकड़ों जवाबों में खुद को तलाशती हुई |
दो अधूरे मिले , एक दूसरे को पूरा किया |
उसने उसे ठहरना सिखाया,
और उसने उसके जवाबो को
उलट-पलट कर सरल कर दिया |
शामें साथ बीती, चाँद एक साथ देखा गया,
वह बोलता रहता था, वो सुनती रहती थी,
उसके सारे सवालों के जवाब उसकी ख़ामोशी दे देती थी |
फिर एक दिन,
दोनों ने अपने लिए राहें पकड़ ली |
कुछ समय पूरा होने के बाद
दोनों के लिए फिर कुछ अधूरा रह गया,
अब फिर भटक रहे हैं ,
अपने अधूरे को पूरा करने |
- अज्ञात
Isla mtlb kya hai .what Can anyone feel about this poem
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